बुधवार, 25 मई 2011

अरपा ले अरपा तक

बिलासपुर जिला के किसान अऊ रहईया मन के जीवन ल सुग्घर रखे मा अब्बड़ योगदान हावय हमार अरपा दाई के। फेर वाह रे मनखे मन अरपा दाई ले पानी लेत हे रेत ल लेत हे, रूख-राई ले लाभ लेत हे पर नुकसान पहुचाये म कोनो कसर ल नई छोड़े हे।
जहां ले अरपा दाई ह परगट होवे हे वो जगह गांव अमरपुर पेन्ड्रा हावय फेर वो जगह म कब्जा कर लेहे कुछ स्वारथी मन ह। बचे-खुचे कसर ल पेन्ड्रा के रहवासी मन ह पूरा कर देहे। पेन्ड्रा के जम्मो गन्दा पानी ल नाली बना के अरपा धहर छोड़ देहे। आऊ अरपा दाई के परगट होवे के जगह के आस-पास चारो मुड़ा म पाताल ल खोद-खोद के पानी ल निकालत हावे।
अपन पुरखौती चीज-जायजाद ल जेन डहर ले सम्भाल के रखतथन वैइसने पेन्ड्रा के लोगोन मन अरपा दाई ल नई रखीन, बड़ दुख लगते। दू बछर होगें अरपा बचाओं अभियान लेके हमन वहां जाथन फेर अतका बड़ नगर ले कुछ साथी मन ही जुड़थे। नगर पंचायत के अध्यक्ष विवेक जायसवाल हर अपन कुछ साथी मन के साथ अरपा दाई ल बचाये बर अपन डहर ले परयास करथे। फेर बड़े नेतामन, विधायक, भाजपा, कांग्रेस के पदाधिकारी मन ल कोनो मंतलब नई हे। फेर जिला के अधिकारी मन तो अपन कुरर्सी बचे रहये तेमा भिड़े रहत हे। बिलासा कला मंच के संगवारी मन जेमा मोर साथ राघवेन्द्र धर दीवान, डा.सुधाकर बिबे, राजेन्द्र मौर्य, अजय षर्मा, रामचरण यादव, देवानंद दुबे, अष्विनी पाण्डेय, भीम यादव, विजय यादव, दिलहरण साहू, संजय ठाकुर, उमेन्द्र यादव, अऊ कान्हा ह अरपा बचाओ अभियान जेमा जल, जंगल, खेेत, बाघ ल बचाये बर 30 अप्रेल 2011 ले  4 दिन तक के यात्रा ल करिन। अरपा अऊ षिवनाथ नदी के संगम ले अरपा नदियां के किनारा ल पकड़ के बसे गांव मन म जा जा के लोगन मन लंग मिलत रहेन। सब्बो गाॅव के मन बर परसन होवें। पर प्ररषासन के घोर उदासीन पना ल देख के निराष हो जावे। ऐसने सबो डहर दिखीस। अरपा के उद्धार करेबर तो दूर जंगल अऊ खेत ल बचाये बर भी परषासन ह कुछ उपाय नई करे हावेय।
बिलासपुर म षासन के कमिष्नरी, कलेक्टर आफीस, सिचाई, वन, प्रदूशण विभाग हावे पर कोनो मन के आंख म ये दूरदसा हर नई  दिखत हे।
बिलासपुर नगर के तो आऊ, खराब हालत हे। अरपा विकास प्राधिकारण बने एक बरस हो गयै हे। फेर आयुक्त, संभागीय कार्यालय म अरपा विकास प्राधिकरण के नाम म कुछु चिट्ठी-पट्टी, कागजात नई हावय, बड़ दुख होथे सुन के। प्राधिकरण के काम ह इहां के अखबार मन म ही दिखते।
नगर निगम ह अरपा दाई म कचरा डालत हे, नाली के गन्दा पानी ल फेकत हे आऊ यहां के महापौर अऊ पार्शद मन के साथ निगम के अधिकारी मन कुभकरण बने सोवत हे। ऊपर ले प्रषासन ह नदियां के दोनो डहर 200 मीटर नाप जोक करके गरीबहा मनखे मन ल डेरवावत हे। आऊ चीज वाले बड़े मनखे मन अपन पैसा के बल म गुर्रावत हे।
गरीबहा अऊ किसान मन के कोनो नई हे। मुख्यमंत्री ह दू रूपया किलो चावल बेच के सोचत हे मै हर अब्बड़ काम कर डाले हव आऊ कांग्रेस ह कभू-कभू अखबार म समाचार छपवा के सोच ले हे कि छत्तीसगठि़या मन के बात ल उठावत हन आऊ दमदार विपक्ष के भूमिका ल निभावत हन।
ये नेता अऊ अधिकारी मन छत्तीसगढि़या मन के आलसी पना, आऊ जान दे कुछ नई होवय के कमजोरी ल बड़ जानथे। तभे-तव छत्तीसगढि़या संस्कष्ति, कला, रीति- रिवाज, नदीयां, पानी, पेड़, खेत, आऊ यहां के षांति जम्मो खतम होत जात हे। अपन राज्य म हमन बाहरी हो गये हन।
आवा अरपा दाई ल बचावो, जो दुरदषा हमन करे हन वोला सुधारन। हमन अपन बर नई तो कम से कम हमार पाछु-पाछु चले आवत हे हमन के लईका मन बर उनखर स्वस्थ जीवन बर, अरपा ल बचाए बर, चेतना जागाईन। ए बरसात म कम से कम एक पेड़ जरूर लगाईन, खेत ल बचाईन, बे मतलब के लगत हावय उद्योग- कारखाना ल सहयोग मत करव। ओखर ले भविश्य म होेहय भंयकर बिमारी, पानी के समस्या आऊ वातावरण म जहरीली धूआ, राख। एखर ले बचे बर जागना पढ़ही, जगाना पढ़ही तभे सब के उद्धार होही। ऐसे करे ले सब ले बढ़ के पुण्य के काम होही।

डा.सोमनाथ यादव
1, प्रेस क्लब भवन, ईदगाह रोड़
बिलासपुर (छ.ग.)